DETAILS, FICTION AND HINDI KAHANI

Details, Fiction and hindi kahani

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hindi kahani

चुनमुन कहती अभी थोड़ी और बड़ी हो जाओ तब सिखाएंगे। बच्चे दिनभर ची ची ची ची करके चुनमुन को परेशान करते।

उन मछलियों में से एक मछली दोस्त आलसी थी।

इसके लिए वह पेड़ के वृक्ष से दो पत्ते तोड़कर गांव देने का वायदा लिख देते हैं।

झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए थे और अंदर बेटे की जवान बीबी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़ों की रात प्रेमचंद

जब वह कुछ दिन बाद विद्यालय पहुंचा वहां, प्रधानाचार्य ने उन सभी बालकों को बुलाया जिन्होंने परेड में भाग नहीं लिया था। इस पर रमेश का नाम नहीं पुकारा गया , बाकी सभी विद्यार्थियों को उनके अभिभावक को लाने के लिए कहा गया। रमेश ने सोचा कि मेरा नाम प्रधानाचार्य ने नहीं बोला लगता है वह भूल गए होंगे। रमेश प्रधानाचार्य के ऑफिस में गया और उसने प्रधानाचार्य से कहा कि मैं भी उस दिन परेड में नहीं आया था।

बहुत डरा हुआ था। उसने खाना पीना भी बहुत कम कर दिया और महीने भर के भीतर ही उसका

पिंकी बहुत प्यारी लड़की है। पिंकी कक्षा दूसरी में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी देखी। उसे अपनी रेल – यात्रा याद आ गई, जो कुछ दिन पहले पापा-मम्मी के साथ की थी। पिंकी ने चौक उठाई और फिर क्या था, दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ गया , दूसरा डब्बा जुड़ गया , जुड़ते – जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। जब चौक खत्म हो गया पिंकी उठी उसने देखा कक्षा के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ – रेलगाड़ी दिल्ली गई , मुंबई गई , अमेरिका गई , नानी के घर गई , और दादाजी के घर भी गई।

यह सुनकर बंदर हँसने लगा। गिलहरी भी पूँछ को छोड़कर पेड़ की डाली पर चढ़कर बंदर के साथ बैठ गई और दोनों की गहरी दोस्ती हो गई।

क्यों ना हम लोग तालाब से निकलकर नदी में चलें?

जब तक समाज में अमीरी और ग़रीबी यानी वैभव और वंचना की खाई रहेगी, 'कफ़न' किसी क्लासिक की तरह कालजयी रहेगी.

ज्ञानरंजन ने अपनी 'घंटा' और 'बहिर्गमन' जैसी कहानियों के माध्यम से हिंदी कहानी लेखन को एक ऐसा नया गद्य दिया जिसकी मार और व्यंजना मध्यवर्गीय पात्रों के जीवन के तमाम विरोधाभासों को अभिव्यक्त करने का भाषिक हुनर कथाकारों को दिया.

पिताजी भी गए हुए हैं, अब मैं तुम्हें स्कूल पहुंचा कर गांव निकलूंगी।

घर आकर मां को मक्खियों के बारे में बताया। वह हमारे खाने को गंदा कर देती है। घर में आकर गंदगी फैल आती है। इसे घर से बाहर भगाना चाहिए।

तीसरे बेटे ने दो दिन तक इस पर चिंतन मनन किया  कि महल को सिर्फ एक सिक्के से कैसे भरा जा सकता है। वह वाकई कुछ ऐसा करना चाहता था, जिससे पिता की उम्मीद पूरी होती हो।

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